बरस गया यह मौसम तेरे भीगे आँचल की तरह....हवा जो चली यह सरक गया किसी नाज़नीन की
हसी की तरह.....देखा जो उन्हें तो बिखर गए, किसी मखमली दुपट्टे की तरह....छुआ जो गेसुओं को
तो निखर गए किसी आईने की तरह...यह प्यार है या इसी मौसम का असर,कि भीगे है बारिश की उन
फुआरों मे,पर सांसे गर्म है पारे की तपिश की तरह....
हसी की तरह.....देखा जो उन्हें तो बिखर गए, किसी मखमली दुपट्टे की तरह....छुआ जो गेसुओं को
तो निखर गए किसी आईने की तरह...यह प्यार है या इसी मौसम का असर,कि भीगे है बारिश की उन
फुआरों मे,पर सांसे गर्म है पारे की तपिश की तरह....