Saturday 1 July 2017

बरस गया यह मौसम तेरे भीगे आँचल की तरह....हवा जो चली यह सरक गया किसी नाज़नीन की

हसी की तरह.....देखा जो उन्हें तो बिखर गए, किसी मखमली  दुपट्टे की तरह....छुआ जो गेसुओं को

तो निखर गए किसी आईने की तरह...यह प्यार है या इसी मौसम का असर,कि भीगे है बारिश की उन

फुआरों मे,पर सांसे गर्म है पारे की तपिश की तरह....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...