शहजादी हू तेरी..इॅकार नही अब मुझ को--ले चल सात समॅदर पार..कही इॅकार नही अब
मुझ को--हर रसम निभाए गेे सॅग तेरे..कोई देखे ना तुझे बस इस दिल मे छुपा ले गे
तुझ को--हसरते जो उठती है तेरे मेरे सीने मे मुहबबत बन के..ताउमर निभाए गे रिशते
की इॅतिहा बन के--आॅखो से जो कभी बरसे आॅसू..कलश पूजा का समझ पलको पे बिठा
जाए गे--
मुझ को--हर रसम निभाए गेे सॅग तेरे..कोई देखे ना तुझे बस इस दिल मे छुपा ले गे
तुझ को--हसरते जो उठती है तेरे मेरे सीने मे मुहबबत बन के..ताउमर निभाए गे रिशते
की इॅतिहा बन के--आॅखो से जो कभी बरसे आॅसू..कलश पूजा का समझ पलको पे बिठा
जाए गे--