हर बरसती बूॅद मे लिपट कर आया है पैगाम तेरा..मोती की तरह सॅभाल कर रखा है हर
इबादती पैगाम तेरा....कोई छू भी ना ले इशके-पैगाम को,महफूज रखा है दिले-दरबार मे
शाही ईमान की तरह...तेरे आने से पहले पढ चुके है हर लफज बूॅदे-महबूब की तरह..अब
बचा है सॅवरना मुमताजे-शहॅॅशाह की तरह....
इबादती पैगाम तेरा....कोई छू भी ना ले इशके-पैगाम को,महफूज रखा है दिले-दरबार मे
शाही ईमान की तरह...तेरे आने से पहले पढ चुके है हर लफज बूॅदे-महबूब की तरह..अब
बचा है सॅवरना मुमताजे-शहॅॅशाह की तरह....