Wednesday 6 July 2016

हर बात पे इन आॅखो से सैलाब बहा दे..ऐसे भी नही रहे हैै हम---तेरी आगोश मे आने के

लिए पहले की तरह तडपे...वैसे जाॅ-निसार अब नही है हम---तेरी गुसताखियो पे खुद

को ही सजा दे..वो गुलामे-अॅदाज से बरी हो चुके है हम---दरद तूने दिए बेइॅॅॅतिहा जो हमेे.

उसी का नतीजा है कि रिशते-खास से महरूम हो चुुके है हम----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...