हर बात पे इन आॅखो से सैलाब बहा दे..ऐसे भी नही रहे हैै हम---तेरी आगोश मे आने के
लिए पहले की तरह तडपे...वैसे जाॅ-निसार अब नही है हम---तेरी गुसताखियो पे खुद
को ही सजा दे..वो गुलामे-अॅदाज से बरी हो चुके है हम---दरद तूने दिए बेइॅॅॅतिहा जो हमेे.
उसी का नतीजा है कि रिशते-खास से महरूम हो चुुके है हम----
लिए पहले की तरह तडपे...वैसे जाॅ-निसार अब नही है हम---तेरी गुसताखियो पे खुद
को ही सजा दे..वो गुलामे-अॅदाज से बरी हो चुके है हम---दरद तूने दिए बेइॅॅॅतिहा जो हमेे.
उसी का नतीजा है कि रिशते-खास से महरूम हो चुुके है हम----