Saturday, 30 July 2016

यादो के भॅवर मे आज फिर उलझे और  जी भर कर रो दिए...तडप ने फिर इतना

तडपाया कि सीने के जखम फिर उधड गए..आॅखे बरसा रही है आॅसू और हम गालो पे

अशको को महसूस करते रहे..करते रहे...दरद जो इतना जानलेवा है कि बताने के लिए

किसी काॅधे का इॅतजाऱ करते रहे...अकेले है बहुत ही तनहा है..यादो को सीने से लगा

कर मौत को बुलाते रहेे..बस बुलातेे ही रहे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...