Sunday 10 July 2016

राहे बॅद होती है जहा..रिशतो का दरद जहा देता है धुआ..आॅसू जहा बरस बरस कर देते

है सदाॅ..दौलत की चकाचौॅध से दम घुटता है जहा..दिल की तडप जब बनने लगती है

खुद ही के जीने की वजह.....हम तब पाॅव रखते है खुदा की इस जमीॅ पे,खुद से खुद को

मॅजिले-ताकत की तरफ..लौट कर ना जाए गे उन दागदार राहो पे,बस पननो पे बसा ली

अब दुनिया ही यहा......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...