राहे बॅद होती है जहा..रिशतो का दरद जहा देता है धुआ..आॅसू जहा बरस बरस कर देते
है सदाॅ..दौलत की चकाचौॅध से दम घुटता है जहा..दिल की तडप जब बनने लगती है
खुद ही के जीने की वजह.....हम तब पाॅव रखते है खुदा की इस जमीॅ पे,खुद से खुद को
मॅजिले-ताकत की तरफ..लौट कर ना जाए गे उन दागदार राहो पे,बस पननो पे बसा ली
अब दुनिया ही यहा......
है सदाॅ..दौलत की चकाचौॅध से दम घुटता है जहा..दिल की तडप जब बनने लगती है
खुद ही के जीने की वजह.....हम तब पाॅव रखते है खुदा की इस जमीॅ पे,खुद से खुद को
मॅजिले-ताकत की तरफ..लौट कर ना जाए गे उन दागदार राहो पे,बस पननो पे बसा ली
अब दुनिया ही यहा......