Sunday, 24 July 2016

ना रहे गेे हम,ना रहो गे तुम---हवाओ मे महके गी तेरी मेरी मुहबबत की खुशबू--बीत

जाए गी सदिया हजारो, पर गूजे गी फिजाओ मे पयार की कहानिया..तेरी मेरी--यह

इशक तेरा दीवाना सा,यह हुसन मेरा अफसाना सा...दे जाए गा पैगाम पयार मे बहकने

वालो को--मिसाल दे गी यही दुुनिया हमारे रूहे-जजबात की...जब ना रहे गे हम और ना

रहो गे तुम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...