Thursday, 28 July 2016

रिवाजो की इस दुनिया से बेजाऱ है हम..जो उठाते है हर बात पे सवालात,उन नादानो से

नाऱाज है हम..खुदा की बनाई दुनिया मे,बिखरे है हजारो अफसाने...कभी सूरज की तेज

किरण सेेे जमाना जल जाता है..कभी चाॅद की आशनाई पे गजले हजारो लिख देता हैै...

इशक की राहो मे खलल डालने के लिए,दसतूरो की इॅतिहाई है..तेरे मेरे सपनो को तोडने

के लिए हर रॅजिश आजमाई है..तभी तो जमाने के रिवाजो से नाऱाज है हम....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...