Saturday 30 September 2017

यु ना कर अठखेलिया मेरे ज़ज़्बातो से,यक़ीनन प्यार  हो जाए गा----ना बड़ा धड़कनो की रफ्तार,दिल

बेताब होने पे मज़बूर हो जाए गा----तेरी इन गुस्ताखियों पे तेरे ही नाज़ उठाते है,और तुम पूछते हो कि

मेरे प्यार को कोई नाम मिल पाए गा----नज़र धोखा खा सकती है मगर,तेरी मासूम आँखों मे झांके तो

खुद की तक़दीर पे नाज़ हो जाए गा---अब इशारो को इशारो मे रहने दो ज़रा,कहते है तुम से ज़ाना.......

यक़ीनन प्यार हो जाए गा-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...