Thursday, 21 September 2017

सुर्ख लब गवाही दे रहे है तेरे प्यार मे मदहोश होने की---कहने की जरुरत तो कुछ भी नहीं,बात है

सिर्फ होश खो देने की---आंखे जब भी इशारा देती है किसी फ़साने का,लब लगा देते है पहरा खामोश

हो जाने का----यू ना  कीजिये हसरतो को खुद से जुदा,राज़ है गहरे जरा रात को होने तो दो---चाँद खफा

ना  हो जाए कही,चांदनी को उस की गिरफत से आज़ाद होने तो दो---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...