Sunday, 10 September 2017

पायल बजी भी नहीं,पर झंकार सुनाई दे गई---कंगना पहने भी नहीं,पर आवाज़ क्यों सुनाई देने लगी---

आंखे तो अभी झपकी भी नहीं क्यों सपनो की आहट आने लगी---अज़नबी राहो पे थे क्यों लगा कि

हमनवां कही साथ है---बरखा कही बरसी नहीं बस भीगे है किसी अहसास से,ऐसा गुमा बस होने लगा---

खिल उठे बिन बात के,मुस्कुरा दिए बिना ज़ज़्बात के----यारा क्या यही प्यार है कि कोई बोला भी नहीं

और आवाज़ सुनाई दे गई---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...