Sunday 3 September 2017

बहुत ही.. बहुत ही ख़ामोशी से इस दिल मे उतर गए है आप---संभाले तो संभाले खुद को कैसे कि रूह मे

ही सीधे समा गए है आप----बिखरी बिखरी जुल्फे,बहकी सी अदा...क्या कहिए जनाब आँखों मे शराब

बन आ चुके है आप----मदहोशियाँ कही जान ना ले जाए,जान आप को बना कर पास अपने रख चुके है

आज ----नज़र तो नज़र ही है,लग जाए ना किसी की कभी..शीशे की तरह दिल मे कब से उतार चुके है

आज -----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...