Wednesday, 13 September 2017

आ पलट कर देख ज़रा,कि ज़िन्दगी फिर लौट कर ना आए गी---ज़माना क्या कहता है,लोगो की नज़र

क्या कहती है----कोई मुकम्मल नहीं होता,कोई खुदा भी नहीं होता---कदम कदम पे राहे रोक देते है यह

दुनिया वाले,रोने पे कभी भी मज़बूर कर देते है यही ज़माने वाले---उदास ना हो कि खुशिया झोली फैलाए

आज भी मुखातिब है हम से,दिल के आँगन मे रूह से बंधी खुशबुए खड़ी है ज़िन्दगी बन के----तभी तो

कहते है कि पलट कर देख ज़रा....पलट कर देख तो ज़रा------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...