ना कहा कभी,ना माँगा कभी---सफर यू ही चलता रहा----हसरतो के नाम पे,कभी ना खुश हुए ना दर्द
को पनाह दी कभी---खामोशिया तो कभी सरगोशियां,कभी चुपके से दिल को छू गई कही किसी के
अल्फाज़ो की गहराईयां----दुआओ से भर गया आंचल इतना,कि कहे क्या उस खुदा से कि अब हमे
क्या चाहिए---सज़दे मे झुकना था,बस झुक गए---अब दिन कहाँ और रात कहाँ,इतनी दुआओ का साथ
है फिर क्यों ना कहे शुक्रिया...शुक्रिया और सिर्फ शुक्रिया---
को पनाह दी कभी---खामोशिया तो कभी सरगोशियां,कभी चुपके से दिल को छू गई कही किसी के
अल्फाज़ो की गहराईयां----दुआओ से भर गया आंचल इतना,कि कहे क्या उस खुदा से कि अब हमे
क्या चाहिए---सज़दे मे झुकना था,बस झुक गए---अब दिन कहाँ और रात कहाँ,इतनी दुआओ का साथ
है फिर क्यों ना कहे शुक्रिया...शुक्रिया और सिर्फ शुक्रिया---