Tuesday 27 September 2016

शब्बा ख़ैर कहने के लिए ...बहुत दूर से आये है हम..सलामे इश्क फरमाने के लिए..तेरे दर पे चले आये

है हम..मन्नत का जहाँ पाने के लिए..खुदा की इबादत मे झुक गए है आज.हर उस राह से,उस मोड से

निगाहों को बचाते आये है आज..जिन पे कभी तूने मैंने मुहब्बत की कसमे खाई थी खास...मंज़िले-खास

सब को नहीं मिलती,इसलिए उस खुदा का शुकराना देने आये है आज..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...