Monday 26 September 2016

मुकर्रर नहीं होती कभी मुहब्बत की तारीख...कब ढलते है जज्बात तन्हाई मे,कोई खबर ही नहीं होती...

गहरी नींद के सौदागर जब उठते है रातो मे,प्यार हो गया है कब..कोई खबर ही नहीं होती..दिल जब  भी

धड़कता है किसी की मीठी यादो मे,साँसे कहा ग़ुम हो जाया करती है..कभी खबर नहीं होती..शर्म हया को

ताक पर रख कर,जब सनम के दीदार को यू दिल चाहने लगे..खुदा कसम खुद को भी खबर नहीं होती..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...