मुकर्रर नहीं होती कभी मुहब्बत की तारीख...कब ढलते है जज्बात तन्हाई मे,कोई खबर ही नहीं होती...
गहरी नींद के सौदागर जब उठते है रातो मे,प्यार हो गया है कब..कोई खबर ही नहीं होती..दिल जब भी
धड़कता है किसी की मीठी यादो मे,साँसे कहा ग़ुम हो जाया करती है..कभी खबर नहीं होती..शर्म हया को
ताक पर रख कर,जब सनम के दीदार को यू दिल चाहने लगे..खुदा कसम खुद को भी खबर नहीं होती..
गहरी नींद के सौदागर जब उठते है रातो मे,प्यार हो गया है कब..कोई खबर ही नहीं होती..दिल जब भी
धड़कता है किसी की मीठी यादो मे,साँसे कहा ग़ुम हो जाया करती है..कभी खबर नहीं होती..शर्म हया को
ताक पर रख कर,जब सनम के दीदार को यू दिल चाहने लगे..खुदा कसम खुद को भी खबर नहीं होती..