Wednesday, 28 September 2016

एक ही पल मे बदल जाए गा सब कुछ..सोचा न था...आज की सुबह दे जाए गी क्या..कभी सोचा भी

ना था .....कल तलक थे इस ज़िन्दगी से खफा,बिखरे बिखरे थे यादो के निशा...हाथ उठा कर कुदरत

से दुआओ मे क्या माँगा था..पलकों की भीगी कोर से रब से क्या कहते रहे..हिम्मत से बंधे,खवाबो के

टुकड़ो मे बंधे..मिला है क्या आज....सोचा भी न था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...