Saturday 24 September 2016

कोई नज़्म तो लिख मेरी नूरानी सूरत के लिए..कोई कहानी तो सजा मेरी वफाए-ज़िन्दगी के लिए...

दुनिया कहती है तेरी सूरत पे लिखा है,मेरी मुहब्बत का नशा ..तेरी रातो पे टिका है मेरे ही पहलु का

सिला...मेरी हँसी को न बना खुद की तक़दीर का नशा..कभी हो गए रुखसत जो इस दुनिया से ..तेरी

रूह से रूह का तार बन जाये गे...बस एक गुजारिश मेरी तुझ से,लिख दे कोई नज़्म इस नूरानी सूरत के

लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...