कोई सजा तो दो हम को--किसी रंजिश के तहत ही आ जाओ---नफरत का सिला ही दो हम को..पर
नज़र भरने से पहले ही आ जाओ..ढूंढते है तुम्हे उन तमाम गलियो मे,महकती हुई फूलो की मदहोश
वादियो मे...जहा तक उठती है निगाहे आसमाँ की तरफ,भीग जाती है यह आंखे पलकों की गहरी कोर
तलक..बेवजह बाते न बना दे दुनिया इस रिश्ते की खबर,क़ि लौट आओ किसी मन्नत की तहत....
नज़र भरने से पहले ही आ जाओ..ढूंढते है तुम्हे उन तमाम गलियो मे,महकती हुई फूलो की मदहोश
वादियो मे...जहा तक उठती है निगाहे आसमाँ की तरफ,भीग जाती है यह आंखे पलकों की गहरी कोर
तलक..बेवजह बाते न बना दे दुनिया इस रिश्ते की खबर,क़ि लौट आओ किसी मन्नत की तहत....