Saturday 7 March 2015

तेरा शहर गर हसरतो का शहर होता-तो हम चले आते----अपनी जिनदगी का सकून

तलाशने ही चले आते----रफता रफता जो साॅसो को चलाया है हम ने---तेरे शहर के

मौसम से साॅसो की ऱफतार बढा लेते-----य़की होता गर कि तेरे सीने मे भी इक दिल है--

तो अललाह-कसम अपना वजूद मिटाने ही तेरे पास चले आते-----पर आलम है यह कि

तेरे पतथर दिल की तरह,वीरान है तेरा शहर--वरना् हम तो बेमौत मरने चले आते------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...