Monday 23 March 2015

टुकडे दिल केे नही किए तुम ने-पर अरमान जरूर तोडे है---जब हजारो रॅग बिखेर रही

है जिनदगी-तब कयो तेरे जजबातो के लिए रोए है---समभलने के लिए तो वो बुरा वकत

ही काफी है-फिर तेरी ही आगोश मे रोने के लिए कयो तडपे है---बुला रही है जिनदगी

दामन मे मेरे फूल सजाने के लिए-फिर भी ना जाने कयू तेरी बेवफाई के बावजूद-तुझे

ही पाने को कयू मरते है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...