Thursday 12 March 2015

लबो पे मुसकुराहट लिए-हम जमाने मे मशहूर है---अनदर की बेबसी को-अपनी तनहाई

मे समेटे हम मशगूल हैै----जो कभी रो दे गे-तो जमाना उठाए गा हजारो सवाल हम पे--

कयू बिखरे है बेवजह-पूछे गे सब हम से----हमारी मुसकुराहट-हमारी हॅसी-कया कीमत

है इस की--नही जानते---बस खबर है इतनी-कि हमारी हॅसी से जिनदगीयाॅ गुलजाऱ है

कितनी------------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...