इखतियाऱ ही नही है आज भी अपने जजबातो पे-इनकार नही है फिर भी तेरी उन
बेमिसाल बातो से---रूह तेरी मे समा चुके है खामोश मुहबबत बन कर-यह बात और है
कि तेरे पयार मे शिददत ही नही आज तक---तेरी बातो की नरमाई,मगर निगाहो की
बेरूखाई--समझ नही पाए आज भी कि तुम मुकममल हो या अधूरी सी बेवफाई------
बेमिसाल बातो से---रूह तेरी मे समा चुके है खामोश मुहबबत बन कर-यह बात और है
कि तेरे पयार मे शिददत ही नही आज तक---तेरी बातो की नरमाई,मगर निगाहो की
बेरूखाई--समझ नही पाए आज भी कि तुम मुकममल हो या अधूरी सी बेवफाई------