Friday, 20 March 2015

वही रॅगत-वही चेहरा-वही मुसकान होठो पे------भूल नही पा रहे है तेरा वो पैगाम-------

कि सदियो मे खिलते है ऐसे फूूल-जो सदाबहार रहते हैै---आओ कभी भी लेने हमे-मगर

हमनवाॅ मेरे-तेरे लफजो का मान रखे गे मरते दम तक------रहे गे सदाबहार यू ही------

कयो कि तेरी किसी चाहत को नकारना रहा है हमारे लिए बहुत ही मुशकिल-------------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...