लुटा दी पयार की दौलत हर उस शखस पर-जो जुडा रहा किसमत से मेरी--ऱाहे-मुसववऱ
मे तनहाॅॅ जो कभी हुए-ना बताा पाए खुद की उलझनो का सिला--जो बताया कभी रॅजो-
गम अपना-खुद अपनी कशती ही डुबो बैठे--अशको से भिगोया जो दामन अपना-उनही
अशको से फिर बचाया दामन अपना-पाके-मुहबबत ना हासिल कर पाए कभी----बस
लुटाते रह गए पयार की दौलत हर शखस पर-जो जुडा रहा जिनदगी से मेरी---
मे तनहाॅॅ जो कभी हुए-ना बताा पाए खुद की उलझनो का सिला--जो बताया कभी रॅजो-
गम अपना-खुद अपनी कशती ही डुबो बैठे--अशको से भिगोया जो दामन अपना-उनही
अशको से फिर बचाया दामन अपना-पाके-मुहबबत ना हासिल कर पाए कभी----बस
लुटाते रह गए पयार की दौलत हर शखस पर-जो जुडा रहा जिनदगी से मेरी---