तेरे साथ कदम जितने भी चले,वो कदम नही बस वादे थे...तेरे साथ जो वादे किए,वो
वादे ही नही..तेरी रूह को दिया इक फऱमान है...कोई समझा कि नही समझा,पर हम तो
हर कदम,हर वादे के आज भी गुलाम है...सदियाॅ गुजर जाए गी बिछडे हुए,पर हर सुबह
आज भी आबाद है..कयो कि आज भी सूरज उगने से पहले रात का गुलाम है.....
वादे ही नही..तेरी रूह को दिया इक फऱमान है...कोई समझा कि नही समझा,पर हम तो
हर कदम,हर वादे के आज भी गुलाम है...सदियाॅ गुजर जाए गी बिछडे हुए,पर हर सुबह
आज भी आबाद है..कयो कि आज भी सूरज उगने से पहले रात का गुलाम है.....