Monday 5 January 2015

तेरे साथ कदम जितने भी चले,वो कदम नही बस वादे थे...तेरे साथ जो वादे किए,वो

वादे ही नही..तेरी रूह को दिया इक फऱमान है...कोई समझा कि नही समझा,पर हम तो

हर कदम,हर वादे के आज भी गुलाम है...सदियाॅ गुजर जाए गी बिछडे हुए,पर हर सुबह

आज भी आबाद है..कयो कि  आज भी सूरज उगने से पहले रात का गुलाम है.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...