तुम चले जिस राह पर..हम भी पीछे पीछे आ गए....कभी मुड कर जो पीछे देखा होता...
तो जान पाते,तेरे ही कदमो मेे बिछ रहे थे हम...हम तो बॅधे थे तेरी ही उस महक के
साथ,जो हमारे ही दामन को महका रही थी.....पर अफसोस है इस बात का,कि फिजाओ
मे फैली थी खुशबू हमारी...और तुम.....बेपरवाह अपने कदम बडा रहे थे वीराने मे........
तो जान पाते,तेरे ही कदमो मेे बिछ रहे थे हम...हम तो बॅधे थे तेरी ही उस महक के
साथ,जो हमारे ही दामन को महका रही थी.....पर अफसोस है इस बात का,कि फिजाओ
मे फैली थी खुशबू हमारी...और तुम.....बेपरवाह अपने कदम बडा रहे थे वीराने मे........