Saturday 10 January 2015

मुहबबत वो नही जहाॅ आसमाॅ से तारे तोड लाने की बात हो...मुहबबत वो भी नही जहाॅ

ऐशो आऱाम के वादो पे साथ निभाने की बात हो...अकसर गुरबत मे वो रिशते भी टूट जाते है.

जो कभी पयाऱ की मिसाल होते है..मुहबबत नाम है उस नाते का.....जहाॅ गुरबत मे,दुख

मे.....साथ तू भी मेरे...साथ मै भी तेरे.............

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...