एक नजर जो दूर तक जाती है..पर फिर लौट कर वापिस आती है...हर राह हर मुसाफिर
से यह ताकीद करती है.......तुम ने देखा है सुरख जोडे मे सजा मेरा मेहबूब....वो महकी
फिजा,वो जननत का खवाब..धीमे कदमो मे भी पायल का शोर होता है...हिला दे जो
दामन,परिनदो के उडने का सबब होता है..रूक गए है इक मोड पर..जहाॅ हवाएॅ भी मेरे
मेहबूब के इनतजार मे फना होती है....
से यह ताकीद करती है.......तुम ने देखा है सुरख जोडे मे सजा मेरा मेहबूब....वो महकी
फिजा,वो जननत का खवाब..धीमे कदमो मे भी पायल का शोर होता है...हिला दे जो
दामन,परिनदो के उडने का सबब होता है..रूक गए है इक मोड पर..जहाॅ हवाएॅ भी मेरे
मेहबूब के इनतजार मे फना होती है....