Tuesday, 27 January 2015

बेेपरवाह हवाओ नेेे उडा दी जुलफे तेरी...हम समझे यह मौसम की कहानी हैै...तुम रो

दिए मेेरेे कानधेे पे सर रख कर..हम ने जाना यह बारिश की बदली है....तुम गुजरे जिन

जिन राहो से मेरी मुहबबत बन के..वहाॅ आसमाॅ ने गिरा दी ओस की बूॅॅदे ऐसे...तो हम

यह समझे कि यह तो तेरे कदमो की ऱवानी है.........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...