Friday 9 January 2015

कयूॅ नही समझा तुम ने हमारी आॅखो का इशारा,हम रोक रहे थे तुमहे..यह तुम ने कयूॅ

नही जाना..जरूरी तो नही सहारा लफजो का ही लिया जाए..हमारी पायल का खनकना..

वो अनदाज भी नही समझा तुम ने....कहते है पय़ार की जुबाॅॅ आॅखो से शुरू होती है...

फिर कयूॅ नही समझा मेरी आॅखो का इशारा.........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...