बहुत दूर तक यह नज़र जहा जाती है....तेरी तस्वीर मुझे वहां तक नज़र आती है....फासले ही फासले
और एक लम्बी दूरी...नज़र जब जब भी भर जाती है,उदासी मे नैनो को झर झर भिगो जाती है....फिर
ना कोई सुबह और ना कोई शाम ही नज़र आती है....आंखे जो मूंदे क्यों तेरी तस्वीर साफ़ नज़र आती
है....प्यार कोई खेल नहीं,जन्मो का इक बंधन है.....दुनिया की नज़र मे हम भले कोरा कागज़ ही सही,
पर तेरे नाम से खुद की दुनिया सतरंगी ही नज़र आती है....
और एक लम्बी दूरी...नज़र जब जब भी भर जाती है,उदासी मे नैनो को झर झर भिगो जाती है....फिर
ना कोई सुबह और ना कोई शाम ही नज़र आती है....आंखे जो मूंदे क्यों तेरी तस्वीर साफ़ नज़र आती
है....प्यार कोई खेल नहीं,जन्मो का इक बंधन है.....दुनिया की नज़र मे हम भले कोरा कागज़ ही सही,
पर तेरे नाम से खुद की दुनिया सतरंगी ही नज़र आती है....