Friday, 13 April 2018

उस मुहब्बत का क्या करे,जो तेरे साथ साथ तेरी रूह से मुहब्बत कर बैठी है.....इन नशीली आँखों

को कितना समझाए,जो तेरे लिए अपनी पलकों का आशियाना बनाए बैठी है...चूड़ियों की खनक

जानती है,कि यह इंतज़ार बहुत जल्द खतम होने को है....इन लबो की मुस्कराहट बरक़रार हमेशा

रहने को है....तेरी दुल्हन तेरे लिए क्यों ना सजे,कि मेरे मन के मीत के आने की खबर बस आने को

है....वोही लम्हा,वोही दस्तक,वो तेरे छूने की अदा...तेरी ही दुल्हन अब तेरे लिए बाहें फैलाए बैठी है  ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...