Saturday 9 December 2017

राज़ कभी जो खोले दिल के हम ने,तेरी ज़िंदगी की तस्वीर बन जाए गे---ना कर इल्तज़ा बार बार मेरे

खामोश लब गुस्ताखियाँ कर जाए गे----मुहब्बत बेजुबान होती है,किसी राह पे कोई मिल जाए तो दूर

कही शहनाइयों की गूंज दस्तक पे दस्तक दे जाती है----मेरी हर अदा पे खुद की अदाएं कुर्बान करने

वाले,तुझे पाने के लिए ज़मीं-आसमां हम एक कर जाए गे-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...