Sunday, 31 December 2017

ना भी नहीं...हां भी नहीं---जहा तक जाती है नज़र,वहा तक तेरी बेवफाई के निशाँ कही भी नहीं----

पलट कर तेरा मुझे देखना,पर लब पे मुस्कराहट कही भी नहीं---तेज़ कदमो से मेरी तरफ लौटना

पर बिना देखे मुझे रफ़्तार से चले जाना...मुहब्बत का एहसास अभी भी नहीं----रुखसती के वक़्त

पलकों का नम होना,पर आंखे मिलाने की हिम्मत कही भी नहीं..कही भी नहीं-----

Saturday, 30 December 2017

कांच के टुकड़ों पे जो पाँव फिसला,दलदल के गहरे पानी मे भी संभल नहीं पाया---आंसुओ का सैलाब जो

बहा,इतना बहा कि समंदर भी इस को पचा ना सका----इज़्ज़त के नाम पे,मेरे वज़ूद की धज़्ज़िया उड़ाने

वाले...बेबसी मेरी पे इतना हॅसे कि लौट के जहाँ मे फिर सर उठा ना सके---घुंघरू की जगह जब बेड़ियों

ने ली,तो रास्ते खुलने तो क्या..बंद नज़र आने लगे----धीमे धीमे ज़ख़्म नासूर बने,और यह ज़ख़्म ताउम्र

भर ही नहीं पाया------

Friday, 29 December 2017

यू ही कभी नज़र झुक गई,और ऐसी नज़र को वो इकरार हमारा समझ बैठे----किसी बात पे जो हस

दिए,हमारी हसी को वो प्यार हमारा समझ बैठे----किसी बात से खौफ खा कर ,जो खुद मे सिमट बैठे

शर्मों-हया की मूरत हम को मान बैठे----जब रो दिए अपनी ही बेबसी पे,मनाने के लिए अपने कदमो से

हमी पे निसार हो बैठे---  या अल्लाह....तेरी नज़र से खुद को बचाए या खुद से खुद की नज़र उतार ले

कि वो तो हमारी हर बात को अपनी मुहब्बत का हक़दार समझ बैठे----




Wednesday, 27 December 2017

कुछ बिखर गए .... कुछ सिमट गए .... कुछ बेखौफ तेरी बातो मे उलझ गए-----तेरे मेरे दरमियान

गुफ़तगू का वो सिलसिला ......कभी हसी तो कभी नाराज़गी का वो उलाहना -----राज़ तो आज भी

खोल देती है झुकी पलकों की गुस्ताखियाँ -----पाँव के अंगूठे से वो ज़मी को कुरेदना..... फिर कभी

तिलमिला कर हमी पे बरसना----याद तो आज भी करते है तेरी नरम  कलाइयों की वो अठखेलिया

जवाब देने के लिए,जवाब पाने के लिए....लफ्ज़...जो कुछ बिखर गए तो कुछ सिमट गए----

Monday, 25 December 2017

यादो का हर झरोखा तेरी सूरत की याद दिलाता है---गौर करते है जब भी तेरी सूरत पे,अपनी सूरत मे

तेरा अक्स नज़र आता है---दुनिया के लिए बेशक तुम इतिहास सही,पर मुझे आज भी तुम मे आगे का

साथ दिखाई देता है---यह तो सोच है दुनिया वालो की,हवा के रुख से रिश्तो को भुला जाते है---पर तेरी

यह दुल्हन हर याद को,अपने जीवन मे आज भी तुझे दूल्हा समझ...... रिश्ते को निभाती है----

Sunday, 24 December 2017

तहजीब से भरा आप के बोलने का यह लहज़ा..दिल मेरे को अंदर तक छू गया----मासूम सा चेहरा और

मोती की तरह बिखरते आप के होठो से यह लफ्ज़....खुदा की बनाई कोई मूरत है आप----सुना है और

देखा भी इस दुनिया मे,कि सूरत और सीरत कभी साथ नहीं मिलते----खूबसूरती का दंभ अक्सर मोहिनी

मूरत को नज़रअंदाज़ कर जाता है---पर कमाल कुदरत का देखा आप मे हम ने,हर कमी को दूर कर दिल

जीत लिया मेरा आप की सादगी का यह रुतबा----

Saturday, 23 December 2017

टूटने के लिए जरुरी तो नहीं कि ज़ार ज़ार रोया जाए---खुश होने के लिए क्या जरुरी है कि पैरो को

थिरकने को मजबूर किया जाए---लब मुस्कुराते है कभी तो यह आंख क्यों भर आती है---और कभी

आंखे बरसती है सावन की तरह, तो लब क्यों मुस्कुरा देते है----अज़ब खेल है ज़िंदगानी भी,यहाँ हॅसते

है तो दर्द दिल मे छुपा जाते है---और रो रो कर बेहाल जब होते है तो रहम की भीख पा जाते है---या खुदा

मेरे,तेरी दुनिया मे ज़िंदा रहने के लिए..क्या किया जाए..क्या ना किया जाए----
मेरे पास तेरी खामोशियो का कोई जवाब तो नहीं,पर तेरे लब कभी खुले इकरार के लिए,इस का वादा

मेरे दिल के हिजाब मे है तो कही----खामोशिया कभी रुला दिया करती है तो कभी दिलो को भारी भी

कर जाती है---बेवजह जीने की तमन्ना इंसानी फितरत की कोई कला तो नहीं,तू कभी कुदरत से ना

रूठे इस लिए साथ तेरे चलना..मेरी किस्मत मे है तो कही----अब बोल तो दे कुछ लफ्ज़ मुहब्बत के

लिए,कि अब तेरी इन खामोशियो का मेरे पास कोई जवाब ही नहीं----

Friday, 22 December 2017

शब्द निखरते रहे,लफ्ज़ अपनी बुलंदियों पे थिरकते रहे---कभी डूबे दर्द मे,कभी महके प्यार मे तो

कभी उन की आगोश का सपना लिए,पन्नो को मुबारकबाद करते रहे---ज़माना देता रहा तारीफ की,

हौसला-अफ़ज़ाई की निशानियां----दर्द के लफ्ज़ो मे ढूंढ़ता रहा हमारी तन्हाईया,कभी मुहब्बत के अंश

मे,खुद का नाम तलाशता रहा---पर यह शब्द,यह लफ्ज़--अपनी मुहब्बत की तलाश मे दिन-ब-दिन

निखरते रहे,बस सवरते रहे----

Sunday, 17 December 2017

तेरी यादो ने आज क्यों फिर कहर ढाया है---तेरी ही बाहों मे सिमटने के लिए यह दिल क्यों भर आया

है---तेरे पास आने के लिए यह जिस्म क्यों रूह से अलग होने को रोने रोने को आया है----जज्बात है

कि तड़प रहे है तेरी दुनिया मे तेरे पास आने के लिए----किस से कहे कि ज़िंदगी का यह सफर अब

कटता नहीं तेरे बिना----कोई भी रिश्ता भाता नहीं अब तेरे बिना----क्यों आज फिर तेरी उन्ही यादो ने

मेरी रूह पे कहर ढाया है----

Saturday, 16 December 2017

तू कही से भी पुकारे गा मुझे,बेखौफ चले आए गे---दुनिया===इस को छोड़ चुके है बरसो पहले,क्यों

इस के नाज़ उठाएं गे----तूने वास्ता दिया है अपनी पाक मुहब्बत का,पर किया है दुःख ज़ाहिर कि दौलत

के ख़ज़ाने ना लुटा पाए गे----कैद रहो गी मेरी मासूम मुहब्बत की राहो मे,सिमटने के लिए जियो गी मेरी

बाहों मे---ओह--बहुत खुशनसीब हू मैं,इस पाक मुहब्बत को  पाने के लिए---दौलत की राहो मे वो ख़ुशी,वो

सकूँ कहाँ मिलता ---इसलिए तेरी ही दुनिया मे..तेरे पास  बेखौफ चले आए है---- 
लोग कहते है बहुत मगरूर हो तुम...किसी एक जगह रुकते ही नहीं,बहुत बेवफा हो तुम.....प्यार का

दावा करने के लिए,एक हसीं दिल के मालिक नहीं हो तुम....टूटते अल्फाज़ो को शातिर अदा से,घायल

करने मे माहिर हो तुम.....तेरे मगरूर होने की सजा,कदम कदम पे बेवफाई का जाल बिछाने की कला

अब हम से मिले हो,तो बताए गे तुम्हे.....मगरूर भले हो मगर पाक मुहब्बत के हकदार कही नहीं हो

तुम.... 

Sunday, 10 December 2017

भरी नज़र पूछती है ज़िंदगी तुझ से,आखिर ख़ुशी के मायने क्या है----क्या दौलत या कदम कदम पे

बिखरती खूबसूरती की चमक....कभी नकाब ओढ़े हुए झूठे रिश्तो की हसी,तो कभी आंसू पलकों मे

छिपाए मुस्कुराती सी छवि....ना चाहते हुए भी साथ जीने की सजा,तो कभी साथ हो कर भी अलग

होने की खता...टूटे दिल भी अक्सर जुड़ने की बात करते है,तो कही दिल जुड़ कर सदा के लिए जुदा

हो जाते है---अब तो जवाब दे ज़िंदगी,इस दुनिया मे आखिर ख़ुशी के मायने क्या है----

Saturday, 9 December 2017

राज़ कभी जो खोले दिल के हम ने,तेरी ज़िंदगी की तस्वीर बन जाए गे---ना कर इल्तज़ा बार बार मेरे

खामोश लब गुस्ताखियाँ कर जाए गे----मुहब्बत बेजुबान होती है,किसी राह पे कोई मिल जाए तो दूर

कही शहनाइयों की गूंज दस्तक पे दस्तक दे जाती है----मेरी हर अदा पे खुद की अदाएं कुर्बान करने

वाले,तुझे पाने के लिए ज़मीं-आसमां हम एक कर जाए गे-----

Thursday, 7 December 2017

हवाओ की रुखसती और यह बरसता पानी----कुछ मीठी कुछ खट्टी यादो के साथ ज़िन्दगी की प्यारी

सी मेहरबानी---तेरे आने की खबर से हर तरफ रौनक क्यों है----तेरे कदमो की आहट से पहले खामोशिया

गुनगुनाती क्यों है----शाखों से टूट कर यह फूल तेरी राहो मे बिछने के लिए राज़ी क्यों है----अरे..खिल

गई है यह धूप,तुझे मेरे घर का रास्ता दिखाने के लिए......बादलों को चीर कर तेरा ही सज़दा करने बस

आई है यह धूप----

Wednesday, 6 December 2017

आप के लफ्ज़ो की अदायगी का वो जादू....कलम लिए हाथ मे,बस हमी पे नज़म लिख देने का वो जादू....

हमारे चलने पे,हमारे ही कदमो पे निसार होने का यही तेरा जादू....हमारी ही हसी पे,हम को ही लूट लेने

का तेरा यह कातिलाना जादू....कौन हो तुम......गर्दिश मे सितारे आप के है,पर आसमां की बुलंदियों पे

हम को ले जाने का तेरा जादू.....कहे क्या आप से.....फरिश्ता हो या ज़िंदगी का रुख बदलने का कोई

नामचीन जादू.....

Tuesday, 5 December 2017

हटा दे अपने गालों से इन गेसुओं को,बस यू ही लहरा दे इन्हे खुले आसमां के दायरे मे ज़रा ----पलके ना 

झुका नज़रे तो उठा,कही  दूर बजती शहनाइयों की गूंज मे मेरे लफ्ज़ो का मतलब तो बता----कब तल्क

हा..कब तल्क तेरे इंतज़ार मे तेरे आने की घड़ियां मै गिनू----क्या वक़्त से कहू कि रुक जा ज़रा,मेरे

मेहबूब मे अब तक प्यार का ज़ज़्बा ही तो नहीं जगा---लबो को अब तो खुलने दे ज़रा,ज़िंदगी के इन

लम्हो को अब तो ज़ी ले ज़रा----

बहुत नरम सी चादर है तेरी यादो की तन्हाई की---कही दूर कोई बेखबर है,उसी की यादो की तन्हाई से---

बड़ी मुश्किल से नींद कभी जो आ जाती है,तेरा फिर मेरे खवाबो मे आ कर मुझे जगा जाना...यही तो

तेरी मुहब्बत की कातिलाना रुसवाई है----मेरे पास से तेरा ख़ामोशी से निकल जाना,और अपनी ही

मुस्कराहट को होठो मे दबा जाना----किस से कहे कि यही अदाएं तेरी मेरी रातो की तन्हाई है-----

Monday, 4 December 2017

धड़कनो को आहिस्ता से सुना तो तेरे नाम की आवाज़ आती है----आँखों को जो बंद किया तो तेरी ही

तस्वीर उभर आती है------बरबस नज़र पड़ी जो खुद की हथेलियों पर,इन्ही लकीरो मे मुझे अक्स तेरा

ही नज़र आया है --लोग कहते है कि मांगो तो खुदा भी मिल जाता है,पर हम ने  तो तुझी मे अपना खुदा

पाया है --पायल बजती है बेखबर रात भर,चूड़ियाँ खनक खनक जाती है बार बार----जो धड़कनो की सुने

तो आवाज़ सिर्फ तेरे ही नाम की आती है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...