Saturday, 30 September 2017

यु ना कर अठखेलिया मेरे ज़ज़्बातो से,यक़ीनन प्यार  हो जाए गा----ना बड़ा धड़कनो की रफ्तार,दिल

बेताब होने पे मज़बूर हो जाए गा----तेरी इन गुस्ताखियों पे तेरे ही नाज़ उठाते है,और तुम पूछते हो कि

मेरे प्यार को कोई नाम मिल पाए गा----नज़र धोखा खा सकती है मगर,तेरी मासूम आँखों मे झांके तो

खुद की तक़दीर पे नाज़ हो जाए गा---अब इशारो को इशारो मे रहने दो ज़रा,कहते है तुम से ज़ाना.......

यक़ीनन प्यार हो जाए गा-----

Friday, 29 September 2017

बार बार ना पूछ कि मेरी रज़ा क्या है----तेरी ही इबादत मे ढली एक अनजान सही,मगर अपनी पहचान

तो है----रात ढलती है मगर तेरे नाम के साथ,दिन शुरू होता है तेरी नूरानी सूरत के तहत----मंज़िल की

तलाश मे दूर बहुत दूर चलते ही रहे,तुझे सरे-राह देखा तो रूह ने सवाल किया..बता अब तेरा इरादा क्या

है----मन्नतो की चाह मे,खुले आसमाँ की पनाह मे...अब तू फिर मुझ से ना पूछ कि मेरी रज़ा क्या है---

Thursday, 28 September 2017

कभी दुआओ मे ज़ी लिए तो कभी वफाओ मे खुश हो लिए.....दर्द जब जब दस्तक देता रहा,आंसुओ

को कहा अलविदा और ज़िन्दगी को साथ ले लिया...खुशियाँ कहाँ कब हमेशा साथ चलती है,पल दो

पल का सुख दे कर किसी नई राह पे निकल जाती है....कभी सन्नाटा पसर जाता है मन के इस आंगन

मे,तो कभी किसी आहट पे इंतज़ार का मुकाम मिल जाता है...खुद से खुद को वादा दिया,तू कुछ भी

दे मेरी ज़िन्दगी..हम ने हर हाल मे तेरा शुक्राना करना सीख लिया...

Sunday, 24 September 2017

हसरतो का ज़नाज़ा ना निकले,इस डर से उस ने हमारा दामन थाम लिया---लोग बेवजह सवाल

उठा दे गे,इसी खौफ से अदब से हमें सर पे बिठा लिया---कदम जहाँ जहाँ पड़े हमारे,फूलो को नाज़

से राह मे हमारी बिछा दिया----नूरानी चेहरे को नज़र ना लगे ज़माने की,यह कह कर काजल का टीका

हमारे माथे पे ही सजा दिया---देखते ही रह गए,इस शख्स की क्या पहचान है..खुद को ज़नाज़े से बचाने

के लिए हमीं को हमारे ही दामन मे थमा दिया---

Saturday, 23 September 2017

तेरे साथ नहीं तो तेरे बाद भी नहीं---किसी और के लिए अब इस दिल मे जगह कही भी नहीं---भर

गया है इस दिल का आशियाना इतना कि इस जन्म तो किसी और के रहने की गुंजायश ही नहीं---

दिल के दरवाज़े पे दस्तक मिलती है कई बार,पर यह दस्तक अब मुझे सुनाई देती ही नहीं---तेरे प्यार

का सरूर छाया है इस कदर मुझ पे,कि बिजलिया गिरती है बार बार मुझ पर ,पर उन की चमक मेरे

जीवन को अब रोशन करती ही नहीं -----

Friday, 22 September 2017

वो मेहरबाँ क्यों हो गए हमारी नादानियों पे----खिलखिला कर उन्ही पे हंस दिए,वो फिर भी हम पे क्यों

कुर्बान हो गए----कुछ नहीं समझा उन्हें सिर्फ एक बेगाने से इंसान से,फिर क्यों हमारी ही तारीफ़ करते

करते वो एक मसीहा,एक भगवान बन गए---फ़िक्र नहीं हुई कि कौन है और क्यों नाज़ उठा रहे है हमारे

हम तो बस उम्र के अल्हड़पन पर ज़िन्दगी को बेफिक्र जीते रहे---और वो हमारी इन्ही शोख अदाओ पे

हमारी बलाए बस लेते रहे....लेते रहे.....
मुहब्बत तो मुहब्बत है...बदरा बरस जाए कितना या फिर बिजली खौफ बरसाए कितना----बहुत

भिगोया है इस बरखा ने हद की हद से परे...पर यह आंखे नहीं भीगी बरसते पानी के तले---कायम है

इन मे तेरे प्यार की वही हलकी सी खलिश,बस रही है साँसों मे अभी भी तेरी वफ़ा की वोही नमी---

शायद यह बरखा ले आए कभी सैलाब गहरा..ना बुझा है ना बुझे गा  कभी तेरे मेरे प्यार का दीया---

कहे गे हर बार यही कि मुहब्बत तो मुहब्बत है--------..........----------
  

Thursday, 21 September 2017

सुर्ख लब गवाही दे रहे है तेरे प्यार मे मदहोश होने की---कहने की जरुरत तो कुछ भी नहीं,बात है

सिर्फ होश खो देने की---आंखे जब भी इशारा देती है किसी फ़साने का,लब लगा देते है पहरा खामोश

हो जाने का----यू ना  कीजिये हसरतो को खुद से जुदा,राज़ है गहरे जरा रात को होने तो दो---चाँद खफा

ना  हो जाए कही,चांदनी को उस की गिरफत से आज़ाद होने तो दो---

Monday, 18 September 2017

यह कलम जब जब तेरा नाम लिखती है....आँखों मे आंसू आ जाते है और ज़ुबाँ खामोश हो जाती है

बिखरे है अनगिनत शब्द मेरी लिखी हर किताब मे....गरूर से भरा है प्यार मेरा तेरा, मखमली भरे

किसी अनोखे से जवाब से.....मुस्कुरा देते है जब जब तेरा नाम,सुनहरे सपनो से जोड़ लेते है.....क्या

कहे इस कलम से,कि पास हो हमेशा तेरा वज़ूद और यु ही तेरी ज़िन्दगी को अपनी ज़िन्दगी से जोड़

लेते है...

Sunday, 17 September 2017

कभी हसरते,कभी जलजले,कभी सैलाब बनते है आंसुओ से यहाँ----कही कोई उदास है ज़िन्दगी से यहाँ

तो कही रेत के महल ढह रहे है यहाँ---मुश्किलों के दौर मे रो रो कर बेहाल हो रहा है कोई----तो कही

बेवफा ज़िन्दगी का जश्न मना रहा है कोई----मायने समझ लेते जो जीने के,तो यू तन्हा न रहते---

इम्तिहाँ बहुत बहुत लेती है यह ज़िन्दगी,फिर क्यों न कहे कि ज़िन्दगी तुझ से शिकवा तो कोई भी

नहीं----जीने का अंदाज़ जो सीखा होता तो कोई सदमे मे ना रहता,न ही सैलाब बनते आंसुओ से यहाँ 

Friday, 15 September 2017

छन छन छन छन ----- यह पायल तेरी क्यों सोने नहीं देती ---- बजते है कंगन और चूड़ियाँ... दिल को

चैन लेने क्यों नहीं देती ----- यह बिखरे बिखरे काले गेसू... सुबह को आने क्यों नहीं देते ---- यह तेरी

हॅसी जान ले जाए गी मेरी...फिर ना कहना कि तू तो जान थी मेरी ----कुछ रुके से कदम कुछ बहके से

अंदाज़ ....रफ़्तार तेरे चलने की क्यों मुझे सम्भलने  ही नहीं देती -----

Thursday, 14 September 2017

आप जीने की वजह बनते रहे और हम--- साँसों की मोहलत लिए आप से मुहब्बत करते रहे---हवा के

झोको मे ऐसी कशिश देखी नहीं,बादल जो अब बरसे वैसी बूंदे तो कभी बरसी ही नहीं----किसी ने दे कर

वजह जीने की,मुस्कुराना हमे सिखा दिया----आईना देखते है बार बार,कि सूरत अपनी से ही प्यार करना

सिखा दिया---यू तो ज़ी रहे थे बेवजह,आप के प्यार मे डूबे इतना कि मुहब्बत को मुहब्बत की नज़र से

दीदार बस करते रहे----

Wednesday, 13 September 2017

आ पलट कर देख ज़रा,कि ज़िन्दगी फिर लौट कर ना आए गी---ज़माना क्या कहता है,लोगो की नज़र

क्या कहती है----कोई मुकम्मल नहीं होता,कोई खुदा भी नहीं होता---कदम कदम पे राहे रोक देते है यह

दुनिया वाले,रोने पे कभी भी मज़बूर कर देते है यही ज़माने वाले---उदास ना हो कि खुशिया झोली फैलाए

आज भी मुखातिब है हम से,दिल के आँगन मे रूह से बंधी खुशबुए खड़ी है ज़िन्दगी बन के----तभी तो

कहते है कि पलट कर देख ज़रा....पलट कर देख तो ज़रा------

Sunday, 10 September 2017

पायल बजी भी नहीं,पर झंकार सुनाई दे गई---कंगना पहने भी नहीं,पर आवाज़ क्यों सुनाई देने लगी---

आंखे तो अभी झपकी भी नहीं क्यों सपनो की आहट आने लगी---अज़नबी राहो पे थे क्यों लगा कि

हमनवां कही साथ है---बरखा कही बरसी नहीं बस भीगे है किसी अहसास से,ऐसा गुमा बस होने लगा---

खिल उठे बिन बात के,मुस्कुरा दिए बिना ज़ज़्बात के----यारा क्या यही प्यार है कि कोई बोला भी नहीं

और आवाज़ सुनाई दे गई---

Saturday, 9 September 2017

हवाएं दस्तक नहीं देती,बस बहा करती है----कभी आसमां से सितारों की तरफ तो कभी ज़मी को चूम

लेती है---सर्द हवाएं  अक्सर रिश्तो को पास ले आती है,गर्म सांसो को मुहब्बत मे पनाह दे जाती है----

बदले बदले रुख से ज़माने को बेखबर कर जाती है,यू ही नहीं कहते कि हवाओ के रुख से अक्सर लोग

गुमराह हो जाते है---कभी बेबसी मे तो कभी नशे मे चूर इन्ही हवाओ मे बह जाते है-----

Tuesday, 5 September 2017

लब थरथराए पर जुबां खामोश ही रह गई----पलके झुकाए बैठे रहे पर आंखे फिर भी सब कह गई ----

वो इम्तिहाँ लेते रहे हमारे प्यार का,ख़ामोशी से हम मगर उन की अदा पे बस मरते रहे-----इम्तिहाँ लेते

रहो गे कब तल्क इस प्यार का,यह वो शमा है जो जले गी जन्मो जनम बेहिसाब सा-----कहने को हम

खामोश है,कहने को वो भी खामोश है----जब मचले गी हसरते,खामोशिया दम तोड़ जाए गी----क्या कहे

होगा क्या,बस वादिया मुस्कुराती जाए गी-----


Monday, 4 September 2017

ना कहा कभी,ना माँगा कभी---सफर यू ही चलता रहा----हसरतो के नाम पे,कभी ना खुश हुए ना दर्द

को पनाह दी कभी---खामोशिया तो कभी सरगोशियां,कभी चुपके से दिल को छू गई कही किसी के

अल्फाज़ो की गहराईयां----दुआओ से भर गया आंचल इतना,कि कहे क्या उस खुदा से कि अब हमे

क्या चाहिए---सज़दे मे झुकना था,बस झुक गए---अब दिन कहाँ और रात कहाँ,इतनी दुआओ का साथ

है फिर क्यों ना कहे शुक्रिया...शुक्रिया और सिर्फ शुक्रिया---

Sunday, 3 September 2017

बहुत ही.. बहुत ही ख़ामोशी से इस दिल मे उतर गए है आप---संभाले तो संभाले खुद को कैसे कि रूह मे

ही सीधे समा गए है आप----बिखरी बिखरी जुल्फे,बहकी सी अदा...क्या कहिए जनाब आँखों मे शराब

बन आ चुके है आप----मदहोशियाँ कही जान ना ले जाए,जान आप को बना कर पास अपने रख चुके है

आज ----नज़र तो नज़र ही है,लग जाए ना किसी की कभी..शीशे की तरह दिल मे कब से उतार चुके है

आज -----
तेरा मान रखने के लिए,तुझे सदा पास अपने रखने के लिए----तेरी गुफ्तगू को हमराज़ बनाया है मैंने

धड़कने कभी जो रुकने को हुई,तेरी बाहों के घेरे को अपना सरताज बनाया है मैंने----खवाब जो रह गए

अधूरे,मन्नते जो पूरी हुई नहीं,उन को बसाने के लिए तेरी ही मुहब्बत को परवान बनाया है हम ने----

टुकड़े कभी इस दिल के ना हो जाए,तेरे दिल को इस की हिफाज़त के लिए पास रख लिया हम ने----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...