निखर गए है तेरे पयार मे इतना..आईना भी देखते है तो शरमा जातेे है इतना--लगता है
तेरी निगाहे बॅद दरवाजो से निहारती है मुझ को--कि सरसराहट से ही खुद मे सिमट
जाते है कितना--रूबरू तुझ से होने की ताकत जुटाए कैसे..सज के सॅवर के तेरे ही
नजदीक आए कैसे--मिलन की घडिया तो बस आने को है..घबरा कर पसीने पसीने होते
जा रहे है कितना--
तेरी निगाहे बॅद दरवाजो से निहारती है मुझ को--कि सरसराहट से ही खुद मे सिमट
जाते है कितना--रूबरू तुझ से होने की ताकत जुटाए कैसे..सज के सॅवर के तेरे ही
नजदीक आए कैसे--मिलन की घडिया तो बस आने को है..घबरा कर पसीने पसीने होते
जा रहे है कितना--