Monday 6 June 2016

निखर गए है तेरे पयार मे इतना..आईना भी देखते है तो शरमा जातेे है इतना--लगता है

तेरी निगाहे बॅद दरवाजो से निहारती है मुझ को--कि सरसराहट से ही खुद मे सिमट

जाते है कितना--रूबरू तुझ से होने की ताकत जुटाए कैसे..सज के सॅवर के तेरे ही

नजदीक आए कैसे--मिलन की घडिया तो बस आने को है..घबरा कर पसीने पसीने होते

जा रहे है कितना--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...