वो पूछते है हम से अकसर..मुहबबत की इतॅिहा है कहा तक--वजूद मेरा जो ना रहा कभी
चाहत का दौर रहे गा कहा तक--जमाने के डर से किसी और के हो जाओ गे या पयार मे
मेरे तडप कर रह जाओ गे--यह जिॅदगी है अब अमानत बस तेरे नाम की..ना तडपे गे ना
किसी के हो पाए गे..रूह मे रूह को समेटे तेरी दुनिया मे चले आए गे--
चाहत का दौर रहे गा कहा तक--जमाने के डर से किसी और के हो जाओ गे या पयार मे
मेरे तडप कर रह जाओ गे--यह जिॅदगी है अब अमानत बस तेरे नाम की..ना तडपे गे ना
किसी के हो पाए गे..रूह मे रूह को समेटे तेरी दुनिया मे चले आए गे--