Wednesday 29 June 2016

जिॅदगी की तलाश मे जो निकले..तो तुम मिल गए--साॅसे जो उखडी उखडी सी थी..उन

मे धडकन बन के तुम समा गए--आॅखे जब जब नम हुई..तेरी पलको ने इनहे थाम

लिया--थके थके कदमो से जो ढूॅढने लगे खुशी..तेरी बाहो के सहारे ने मेरे आॅचल को

दुआओ से बाॅध दिया--अब समझे जननत तो तुम मे थी..हम बेवजह वीराने मे भटकते

रहे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...