इकरार करो ना अपनी मुहबबत का मुझ से..कब तक हमे यू तरसाओ गे---रेतीली
वादियो मे भी,अब बरस गए है बादल..हमे जानम तुम कब तक सताओ गे---पल पल
का यह इॅतजाऱ तो मार डाले गा हमे..साॅसे जो रूकी तब आए कया जिॅदगी मेरी लौटा
पाओ गेे---हॅसी हॅसी मे मुहबबत को खेल मानने वाले..यह तो इबादते-इशक है,खुदा के
दरबार से भी माॅॅगो गे हमे..खाली हाथ लौट आओ गे---
वादियो मे भी,अब बरस गए है बादल..हमे जानम तुम कब तक सताओ गे---पल पल
का यह इॅतजाऱ तो मार डाले गा हमे..साॅसे जो रूकी तब आए कया जिॅदगी मेरी लौटा
पाओ गेे---हॅसी हॅसी मे मुहबबत को खेल मानने वाले..यह तो इबादते-इशक है,खुदा के
दरबार से भी माॅॅगो गे हमे..खाली हाथ लौट आओ गे---