फूल बरसा दिए हम पे..यह कह कर--मेरा बनने के लिए रिवाजो की कया जरूरत है---
नरम ओस की बूॅदे हम पे बिखरा कर..खोला इक सच ऐसा कि इस हुसने-हसीॅ को गहनो
की जरूरत कया है---हाथो को चूमा और कहा..कलाईयो को सजाने के लिए अब कॅगन
की जरूरत कया है--माशा अललाह इॅतिहा पयार की जब है इतनी तो इस दुनिया की
जरूरत कया है---
नरम ओस की बूॅदे हम पे बिखरा कर..खोला इक सच ऐसा कि इस हुसने-हसीॅ को गहनो
की जरूरत कया है---हाथो को चूमा और कहा..कलाईयो को सजाने के लिए अब कॅगन
की जरूरत कया है--माशा अललाह इॅतिहा पयार की जब है इतनी तो इस दुनिया की
जरूरत कया है---