बादल बरसे तो फिर बरसते ही चले गए..एहसास दिला के किसी के पयार का,तूफाॅ बन
हम पे कहर ढा गए--भीगेे है पूरी तरह कुछ बूॅॅदो मेे तो कुछ चाहत के ऐतबार मे--दिल तो
बुला रहा है उस अजनबी से पयार को,पर लब है कि खुलते नही इस इकरार के इजहार पे
दुआ है खुदा तुम से..बरसे है जैसे बदरा,बरस जाए वैसे खुल के सनम का पयार हम पे---
हम पे कहर ढा गए--भीगेे है पूरी तरह कुछ बूॅॅदो मेे तो कुछ चाहत के ऐतबार मे--दिल तो
बुला रहा है उस अजनबी से पयार को,पर लब है कि खुलते नही इस इकरार के इजहार पे
दुआ है खुदा तुम से..बरसे है जैसे बदरा,बरस जाए वैसे खुल के सनम का पयार हम पे---