इतने बेगैरत तो नही कि बिन बुलाए तेरे दर पे चले आए...दौलत की चकाचौॅध मे खुद
के वजूद को ही झुठला जाए--इबादत की रसमो से जुडा है इस दिल का आशियाना--दूर
दूर तक नही है जिॅदगी के उलझे सवालो का ताना बाना--वो मुहबबत ही कया जो चॅद
सिकको मे बिक जाए--कभी तेरे दिल से उठे गर इशक का पाक दरिया..तो मेरे इॅतजाऱ
को दुलहन का लिबास पहना जाना--
के वजूद को ही झुठला जाए--इबादत की रसमो से जुडा है इस दिल का आशियाना--दूर
दूर तक नही है जिॅदगी के उलझे सवालो का ताना बाना--वो मुहबबत ही कया जो चॅद
सिकको मे बिक जाए--कभी तेरे दिल से उठे गर इशक का पाक दरिया..तो मेरे इॅतजाऱ
को दुलहन का लिबास पहना जाना--