Thursday 23 June 2016

मै ना भी रहू जब इस दुनिया मे..मेरे लफजो मे मुझे पाओ गे--जब भी ढूॅढो गे नाम

मुहबबत का..मेरे चेहरेे पे लिखा पाओ गे--रूह को छूने के लिए पास आना ना मेेरेे..रूह

की तनहाई से परेशाॅ हो जाओ गे--दरद के आॅचल मे बिताया जीवन सारा..खुशी की इक

लहर के लिए इन हवाओ मे कही गुम हो जाए गे--आॅख नम हो कभी तो मेरेे लफजो मे

ही मुझे पा जाओ गे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...