इनतजाऱ तो इनतजाऱ है,यह खतम कयू नही होता---ढलते सूरज की तरह,यह सुबह मे
फना कयू नही होता---लबो पे फरियाद लिए भटक रहे है दर-ब-दर,फिर भी तेरे लौट
आने की घडियो पे ऐतबार कयू नही होता---झूठे वादे ना कर मुझ से कि अब तेेरे दीदार
केे लिए फिर से बहकने का मन कयू नही होता----
फना कयू नही होता---लबो पे फरियाद लिए भटक रहे है दर-ब-दर,फिर भी तेरे लौट
आने की घडियो पे ऐतबार कयू नही होता---झूठे वादे ना कर मुझ से कि अब तेेरे दीदार
केे लिए फिर से बहकने का मन कयू नही होता----