Saturday 23 January 2016

हमारे नूरानी चेहरे पे वो फिदा हो गए--हमे पढते पढते वो तो शायर ही बन गए---नजमे

जो उन की पढी,हम तो कायल ही हो गए---जिनदगी की दासताॅ मे वो कहा से आ गए--

हम तो अमानत हैै किसी और की,यह जान कर वो तो आॅसूओ के समनदऱ मे नहा गए--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...