Sunday, 17 January 2016

 बॅद दीवारो मे कैद है,फिर भी उन खुली हवाओ को याद करते है--घुटन मे साॅसे जब दम

तोडने लगती है,तो उन हसीन वादियो को याद कर लेते है---कया उमर यू ही कट जाए

गी,ढोलक की थाप पे नाचतेे नाचते--आॅखे भर आई है घुघॅरू की आवाज पर--बेजान

जिनदगी का सफर कटता नही-खिलखिलाती हॅसी मे महकता वो समाॅ,आज भी याद

करते है तो रो लेते है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...