बॅद दीवारो मे कैद है,फिर भी उन खुली हवाओ को याद करते है--घुटन मे साॅसे जब दम
तोडने लगती है,तो उन हसीन वादियो को याद कर लेते है---कया उमर यू ही कट जाए
गी,ढोलक की थाप पे नाचतेे नाचते--आॅखे भर आई है घुघॅरू की आवाज पर--बेजान
जिनदगी का सफर कटता नही-खिलखिलाती हॅसी मे महकता वो समाॅ,आज भी याद
करते है तो रो लेते है--
तोडने लगती है,तो उन हसीन वादियो को याद कर लेते है---कया उमर यू ही कट जाए
गी,ढोलक की थाप पे नाचतेे नाचते--आॅखे भर आई है घुघॅरू की आवाज पर--बेजान
जिनदगी का सफर कटता नही-खिलखिलाती हॅसी मे महकता वो समाॅ,आज भी याद
करते है तो रो लेते है--