Thursday 28 January 2016

इक तेरा वजूद ही तो है,जिस ने मेरी रूह को नवाजा है---वरना सूरत पे तेरी तो हम गौर

करते ही नही--लाखो है मेेरे कदमो मे,सजदा करने के लिए--पर तेरी खामोशी ने ही हमे

पुकारा है---कुछ दूर तुम चलो साथ मेरे..कुछ कदम हम भी चले गे साथ तेेेरे--शायद

कुदऱत मेहबाॅ हो जाए हम पे.तुम पे---कि तेरे वजूद को मेरी रूह से मिला दे वो कभी---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...