दोसतो-नई सुबह मुबारक हो--यह जिनदगी बहुत बार अनदर तक तोड जाती है-इनसान है-अकसर घबरा जाते है,टूट जाते है--पर दोसतो,इन टूटे टुकडो को इकटठा कर के फिर हिममत जुटाए और जिनदगी को दुबारा जिए--हालात हमेशा एक से नही रहते--याद रखिए-हर रात के बाद नई सुबह का आना निशिचत है--कुदरत के नियम कभी नही बदलते---खुुश रहे--शुुभकामनाए सभी के लिए---
Tuesday, 19 January 2016
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...