Tuesday, 19 January 2016

तेरी खामोशी की आवाज सुन रहे है हम--बॅद आॅखो के तेरे सपने,अपनी आॅखो मे कैद

कर चुके है हम--वो खवाहिशेे,वो दसतके  जो दिल के दरवाजे पे दे रहे हो तुम--चुपके से

उन खवाहिशो को हकीकत का नाम देने जा रहे है हम---य़कीॅ तुमहे दिलाए कैसे कि

रफता रफता तेरी ही मुहबबत के आदी होते जा रहे है हम----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...